छात्राओं के साथ भावंनात्मक सम्बन्ध बनाते हुये मातृवत सहृदयता के साथ व्यवहार करते हुये उनकी व्यक्तिगत समस्याओं का यथासम्भव अभिावक की भांति सहयोग कर निदानार्थ व्यवहार किया जाता है। प्रधानाचार्या से सीधे सम्पर्क स्थापित करने व प्रत्येक समस्या के समुचित निदान के कारण विद्यालय में छात्र संख्या में उत्तरोत्त वृद्धि हुई। विद्यालय के संसाधनों के अतिरिक्त समाज के गणमन्य व्यक्तियांें, स्वयं सेवी संस्थायें व अन्य समाज सेवी संस्थाओं के साथ मेरे द्वारा सामंजस्य व सम्पर्क स्थापित किया जाता है व उन्हे प्रोत्साहित किया जाता है जिसके कारण विद्यालय की छात्राओं को जर्सी, जूते, पाठ््य पुस्तके, नोटबुक्स आदि प्रतिवर्ष उनके द्वारा वितरित की जाती है। फलस्वरुप निर्धन छात्रायें विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने हेतु आकर्षित होती हैं। इसके अतिरिक्त विद्यालय के अन्य संसाधन जैसे वाटर कूलर्स, सेनिटरी पैड वैडिंग मशीन, निःशुल्क सैनिटरी पैड व यूनिफार्म आदि का भी व्यवस्था विद्यालय में की गयी है। जिससे छात्राओं व अविभावकों मे रुचि बढ़ी है। साथ ही विद्यालय में शैक्षणिक कार्य व सहपाठ्यगामी क्रियाओ ंको छात्रहित में संचालित करने हेतु दैनंदिनी अनुरुप पूर्ण मनायोग से क्रियान्वित किया जाता है तथा शिक्षिकाओं को नैतिक रुप से व प्रशासनिक रुप से निर्बाध शैक्षणिक कार्य हेतु प्रेरित किया जाता है। स्वयं द्वारा कक्षा में अध्यापन करते हुये समुचित प्रणाली द्वारा प्रभावी शिक्षण कार्य के उदाहरण का प्रयास किया जाता है। विद्यालय में कक्षाओं तथा अन्य स्थानों पर सीसीटी कैमरों की व्यवस्था की गयी है जिससे विद्यालय का सुसंचालन अनुशासित रुप से सम्भव होता है। इसी का परिणाम में है कि गत 10 वर्षों में विद्यालय में छात्राओं की संख्या में लगभग 500 की वृद्धि हुयी है। मुझे यह कहते हुये आत्मिक संतोष की अनुभूति हो रही है कि कोरोना महामारी के समय में विद्यालय के शिक्षक वर्ग व मेरे द्वारा आन लाईन क्लासेस की व्यवस्था बहुत ही सुव्यवस्थित रुप से करायी गयी। जिनमें कुछ कक्षाओं में माननीय विशेष सचिव महोदय व संयुक्त शिक्षा निदेशक, सहारनपुर मंडल, सहारनपुर को भी सम्बद्ध किया गया था। आन लाईन कक्षाओं के सफल संचालन से छात्राओं में शिक्षा के प्रति और अधिक रुचि दिखायी पड़ी। इससे उनके अन्दर कक्षा के विषयों को पढ़ने व उनकी पुस्तकों को प्राप्त करने में अधिक जागरुकता आयी। शिक्षकों के साथ उनका ऑन लाईन सम्पर्क होने व उनके प्रश्नों का निदान होने तथा गृहकार्य आदि को समय से पूरा करने में अभिरुचि जाग्रत होने से विद्यालय से व शिक्षण व्यवस्था के प्रति उनका आकर्षण बढ़ा है। विद्यालय में गत दस वर्षों से चल रही सदन व्यवस्था व उसके अन्तर्गत होने वाली अनेकों गतिविधियांे पे विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था को समाज में श्रैष्ठ स्थान प्रदान किया है। विद्यालय की समाज में छवि उत्कृष्ठ है और उत्तम अनुशासन के साथ विद्यालय की सभी गतिविधियां संचालित होती है, इस सम्मान के साथ जाना जाता है। विद्यालय में ड्राप आउट की संख्या लगभग नगण्य है। छात्राओं की समस्याओं का निराकरण विद्यालय के निर्धन कोष से, व्यक्तिगत व्यवस्था अथवा अन्य स्त्रोतों से आवश्यकतानुसार किया जाता है। समय समय पर अविभावकों को गर्ल चाईल्ड को शिक्षित करने के महत्व को समझाकर प्रेरित किया जाता है व ड्राप आउट से रोका जाता है। विद्यालय में अनेकों अवसरों पर 1090 महिला हैल्प लाईन के माध्यम बाहरी असामाजिक तत्वों से सुरक्षा दिलाने हेतु पहल करते हुये कार्यवाही की गयी है जिससे उनमें आत्म सुरक्षा की भावना उत्पन्न हुयी है।