विद्यार्थी अपने शिक्षकों से सीखें कि किस प्रकार थ्योरी से प्रेक्टिकल की ओर चलते हुये शिक्षा को स्थापित करें। इसी दिशा में विद्यालय में एक नवाचार किया गया है जिसमें 35 मिनट का एक जीरो पीरियड माह अप्रेल से अक्टूबर तक चलाया जाता है जिसमें विद्यार्थियों में प्रत्येक विषय जैसे विज्ञान, कला, वेस्ट मटीरियल का उपयोग, सिलाई कढाई, हैन्डी क्राफ्ट इत्यादि की रचनात्मकता का विकास किया जाता है। विद्यालय की प्रत्येक शिक्षिका अपनी कक्षा की प्रत्येक छात्रा से कुछ न कुछ रचनात्मक कार्य करवाती है। इसी से कम लागत की टीचिंग ऐड भी प्राप्त हो जाती है। इस कक्षा के कार्य समस्त विद्यार्थी बहुत रुचि करते हैं व अन्त में अक्टूबर माह में उनकी समस्त कृतियों का कला मेला आयोजित किया जाता है। इस विधा से कक्षा 9 व 10 के विद्यार्थी अपने 30 अंक के प्रोजेक्ट भी समुचित प्रकार से करना सीख जाते हैं। रचनात्मकता से विद्यार्थी अनेकों अध्याय विशेष रुचि के साथ सरलता से सीख जाते हैं।
विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों को 4 सीनियर व 4 जूनियर सदनों में विभक्त किया गया है। इस विद्यालय में इस व्यवस्था को विशेष रुप से संचालित किया जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत विद्यालय की सभी पाठ्य सहगामी क्रियायें जैसे खेल कूद, संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कला प्रतियोगितायें, भाषण, डिबेट व स्वरचित कविताओं की प्रतियोगितायें आदि आयोजित होती है। प्रातः कालीन सभा भी प्रतिदिन एक प्रतियोगिता ही होती है। विद्यालय का अनुशासन भी मूलभूत रुप से सदन व्यवस्था पर ही आधारित है व प्रतियोगिता के रुप में भी इसका मूल्यांकन होता है। इस प्रकार विद्यालय में इस विशिष्ट व्यवस्था को संचालित किया जाता है और यही व्यवस्था व्यवस्था इस विद्यालय की स्टैªन्थ है। इन सभी का श्रैय डा0 शुक्ला जी को जाता है जिनके अथक प्रयास से विद्यालय निरंतर प्रगति की ओर गतिमान है।