द्वारा विद्यालय में शैक्षणिक कार्य को रुचिकर व प्रभावी बनाने के दृष्टिकोण से ंलैसन प्लान व क्वैश्चन बैंक बनाने की व्यवस्था लागू की गयी। शिक्षिकाओं को प्रेरित किया गया कि अपने विषय के अध्याय को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटे और उन हिस्सों में छोटे व बड़े क्वैश्चन बैंक बनातें हुये विद्यार्थियों को पढ़ाये व उन्हे भी क्वैश्चन बैंक बनवायें। अध्यापन के साथ-साथ उसी विषय पर बच्चों द्वारा नोट किये गये क्वैश्चन बैंक कमजोर तथा मेधावी दोनों ही प्रकार के विद्यार्थियों के लिये बेहद लाभप्रद होते हैं। यह नीति विद्यार्थियों को विषय को स्थापति करना सरल बना देती है व मनोवैज्ञानिक रुप से उनके शिक्षण केा लम्बे समय स्थायी रखती है। इस प्रकार सीखने की विषय वस्तु जब प्रश्नों से विभक्त कर दी जाती है तब विद्यार्थियों के लिये अपने वार्षिक परीक्षाओं में तैयारी करना सरल हो जाता है। यह प्रणाली बड़ी विषय वस्तु को छोटे में बदलकर विद्यार्थियों के लिये सीखना आसान कर देती है।
प्रत्येक विषय चार्ट, मॉडल, चित्र, मानचित्र, टीचिंग एड अथवा पीपीटी के सहयोग से पढ़ाने का प्रयास किया जाता है तथाा अपने सभी शिक्षक सहयोगियों को इसी प्रकार कक्षाओं अध्यापन हेतु प्रेरित किया जाता है। विद्यार्थियों द्वारा बनाये चार्ट व मॉडल अंतर सदनीय प्रतियोगिताओं हेतु रखे जाते हैं और कक्षाओं में कम लागत की टीचिंग एड के रुप में उपयोग में आते हैं जो एक नवाचार है।