विद्यालय प्रारम्भ होते ही प्रातः कालीन सभा को बहुउद्देशीय बनाने का प्रयास किया गया है जिसमें एक बहुउद्देशीय कक्षा की तरह सुविचार, सर्वधर्म प्रार्थन, ईश वन्दना, योगा समाचार पाठन, कविता पाठ, प्रेरणवर्धक कथाओं का वाचन, शारीरिक अभ्यास प्रतिदिन एक शिक्षक का सम्बोधन तथा प्रधानाचार्य का सम्बोधन होता है। इस तरह प्रातःकालीन सभा विद्यालय की एक विशिष्ट गतिविधि है।
विद्यालय में शैक्षणिक कार्य को रुचिकर व प्रभावी बनाने के दृष्टिकोण से ंलैसन प्लान व क्वैश्चन बैंक बनाने की व्यवस्था लागू की गयी। शिक्षिकाओं को प्रेरित किया गया कि अपने विषय के अध्याय को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटे और उन हिस्सों में छोटे व बड़े क्वैश्चन बैंक बनातें हुये विद्यार्थियों को पढ़ाये व उन्हे भी क्वैश्चन बैंक बनवायें। अध्यापन के साथ-साथ उसी विषय पर बच्चों द्वारा नोट किये गये क्वैश्चन बैंक कमजोर तथा मेधावी दोनों ही प्रकार के विद्यार्थियों के लिये बेहद लाभप्रद होते हैं। यह नीति विद्यार्थियों को विषय को स्थापति करना सरल बना देती है व मनोवैज्ञानिक रुप से उनके शिक्षण केा लम्बे समय स्थायी रखती है। इस प्रकार सीखने की विषय वस्तु जब प्रश्नों से विभक्त कर दी जाती है तब विद्यार्थियों के लिये अपने वार्षिक परीक्षाओं में तैयारी करना सरल हो जाता है। यह प्रणाली बड़ी विषय वस्तु को छोटे में बदलकर विद्यार्थियों के लिये सीखना आसान कर देती है।
इस प्रणाली से मासिक परीक्षायें व सरप्राइज टेस्ट आच्छादित करने में सरलता हो जाती है जो विद्यार्थी की सीखने की क्षमता को स्थायी व सरल बनाती है। कमजोर विद्यार्थियों को चैप्टर के प्रत्येक भाग के लघु प्रश्नों पर विशेष ध्यान देने के लिये व याद करने हेतु कहा जाता है। इस प्रकार उनके लिये प्रत्येक अध्याय के कैप्सूल बेहद लाभकरी होते है। यह परीक्षा प्रणाली विद्यार्थी के मस्तिष्क पर मानसिक दबाव नहीं आने देती। शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने का यह एक वैज्ञानिक तरीका है।
प्रत्येक विषय चार्ट, मॉडल, चित्र, मानचित्र, टीचिंग एड अथवा पीपीटी के सहयोग से पढ़ाया जाता हैं तथाा सभी शिक्षक सहयोगियों को इसी प्रकार कक्षाओं अध्यापन हेतु प्रेरित किया जाता है। विद्यार्थियों द्वारा बनाये चार्ट व मॉडल अंतर सदनीय प्रतियोगिताओं हेतु रखे जाते हैं और कक्षाओं में कम लागत की टीचिंग एड के रुप में उपयोग में आते हैं जो एक नवाचार है।
प्रयास किये जाते है कि विद्यार्थी अपने शिक्षकों से सीखें कि किस प्रकार थ्योरी से प्रेक्टिकल की ओर चलते हुये शिक्षा को स्थापित करें। विद्यालय में एक नवाचार किया गया है जिसमें 35 मिनट का एक जीरो पीरियड माह अप्रेल से अक्टूबर तक चलाया जाता है जिसमें विद्यार्थियों में प्रत्येक विषय जैसे विज्ञान, कला, वेस्ट मटीरियल का उपयोग, सिलाई कढाई, हैन्डी क्राफ्ट इत्यादि की रचनात्मकता का विकास किया जाता है। विद्यालय की प्रत्येक शिक्षिका अपनी कक्षा की प्रत्येक छात्रा से कुछ न कुछ रचनात्मक कार्य करवाती है। इसी से कम लागत की टीचिंग ऐड भी प्राप्त हो जाती है। इस कक्षा के कार्य समस्त विद्यार्थी बहुत रुचि करते हैं व अन्त में अक्टूबर माह में उनकी समस्त कृतियों का कला मेला आयोजित किया जाता है। इस विधा से कक्षा 9 व 10 के विद्यार्थी अपने 30 अंक के प्रोजेक्ट भी समुचित प्रकार से करना सीख जाते हैं। रचनात्मकता से विद्यार्थी अनेकों अध्याय विशेष रुचि के साथ सरलता से सीख जाते हैं।